धर्म और प्रजा की रक्षा व कंस का अंत करने के लिए श्रीकृष्ण जी ने जन्म लिया

 - भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया








देवास। जब जब धर्म पर विपदा आती है तो उस विपदा को दूर करने के लिए तब तब भगवान का अवतार होता है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के दो भक्त जय और विजय शापित होकर हाथी व मगरमच्छ के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे। उक्त उद्गार न्यू गणेशपुरी बालगढ़ में समस्त प्राणी जगत की सुख शांति एवं सनातन धर्म का अलख जगाने के उद्देश्य से आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण के चतुर्थ दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आचार्य देवराज शर्मा ने कहें। पूर्व पार्षद सरोज बजरंग बैरवा ने बताया कि कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पाण्डाल को रंगीन गुब्बारों व फूलों से सजाया गया। जैसे ही श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ पूरा पाण्डाल नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल और हाथी घोडा पालकी जय कन्हैयालाल के उद्घोष के साथ समूचा आयोजन परिसर गूंज उठा। भक्तों ने भजनों की धुनों पर मगन होकर थिरकते हुए श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद लिया।

 


                                     श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का आनंद मनाते हुए भक्तों के बीच खूब मिठाई, टॉफीयां और एक दुसरे को बधाई दी। महाराज श्री ने आगे कहा कि भगवान युगों-युगों से भक्तों के साथ अपने स्नेह रिश्ते को निभाने के लिए अवतार लेते आये हैं। जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। कथा 21 दिसम्बर तक प्रतिदिन 2 से शाम 5 बजे तक चलेगी।

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