पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन, महाआरती एवं भण्डारे के साथ कथा महोत्सव का समापन




देवास। न्यू गणेशपुरी बालगढ़ में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण के आठ दिवसीय महोत्सव का आज समापन हुआ। पूर्व पार्षद सरोज बजरंग बैरवा ने बताया कि 21 दिसम्बर को कथा की पूर्णाहुति हो गई थी। कथा महोत्सव के आँठवे दिवस महाआरती, पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन एवं भण्डारा आयोजित किया गया। आचार्य देवराज शर्मा ने पार्थिव शिवलिंग के निर्माण की महत्वता के बारे में बताया कि इस पूजा से न केवल मनोकामनाएं पूरी होती हैं, बल्कि शारीरिक कष्ठों से भी मुक्ति मिलती है।




                                इसके साथ ही, महाशिवरात्रि को सावन मास के तेरस के रूप में मनाने का खास महत्व होता है, जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने और उसका विधिवत पूजन करने से जीवन में सुख, संपत्ति और शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, संतान सुख से वंचित दंपत्तियों को संतान प्राप्ति की कामना की जाती है और सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते समय, शिवलिंग के सामने बैठकर मन ही मन पूजा का संकल्प पढ़ा जाता है। इसके बाद, पवित्र मिट्टी को फूल और चन्दन से शुद्ध करते हुए, भगवान शिव के मन्त्रों का जाप करते हुए इस मिट्टी में गाय का दूध, गोबर, गुड़, भस्म और गाय के दूध से बनाया गया मक्खन मिलाकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। रविवार को सम्पन्न हुए आयोजन में हजारों की संख्या में भक्त कथा पाण्डाल पहुंचे और पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजन की। इस उपलक्ष्य में बाबा महांकालेश्वर का आकर्षक शिवलिंग भी बनाया गया। तत्पश्चात महाआरती की जाकर शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें बडी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लेकर बालगढ स्थित तालाब पार्थिव शिवलिंग का विर्सजन किया। तत्पश्चात भण्डारा प्रारंभ हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा, जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की। कथा महोत्सव के सफल आयोजन पर आयोजक ने सभी का आभार माना।

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